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अगस्त ऋषि की कथा

अगस्त ऋषि की कथा 

अगस्त ऋषि की कथा

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महर्षि अगस्त ऋषि की कथा

महर्षि अगस्त्य वेदोंके एक मन्त्रद्रष्टा ऋषि हैं। इनकी उत्पत्तिके सम्बन्धमें विभिन्न प्रकारकी कथाएँ मिलती हैं। कहीं मित्रावरुणके द्वारा वसिष्ठके साथ घड़ेमें पैदा होनेकी बात आती है तो कहीं पुलस्त्यकी पत्नी हविर्भूके गर्भसे विश्रवाके साथ इनकी उत्पत्तिका वर्णन आता है। किसी-किसी ग्रन्थके अनुसार स्वायम्भुवमन्वन्तरमें पुलस्त्यतनय दत्तोलि ही अगस्त्यके नामसे प्रसिद्ध हुए। ये सभी बातें कल्पभेदसे ठीक उतरती हैं। इनके विशाल जीवनकी समस्त घटनाओंका वर्णन नहीं किया जा सकता। यहाँ संक्षेपतः दो-तीन घटनाओंका उल्लेख किया जाता है। अगस्त ऋषि की कथा 

एक बार जब इन्द्रने वृत्रासुरको मार डाला, तब कालेय नामके दैत्योंने समुद्रका आश्रय लेकर ऋषियोंमुनियोंका विनाश करना शुरू किया। वे दैत्य दिनमें तो समुद्रमें रहते और रातको निकलकर पवित्र जंगलोंमें रहनेवाले ऋषियोंको खा जाते। उन्होंने वसिष्ठ,च्यवन, भरद्वाज-सभीके आश्रमोंपर जा-जाकर हजारोंकी संख्यामें ऋषि-मुनियोंका भोजन किया था। अब देवताओंने महर्षि अगस्त्यकी शरण ग्रहण की। उनकी प्रार्थनासे और लोगोंकी व्यथा तथा हानि देखकर उन्होंने अपने एक चुल्लूमें ही सारे समुद्रको पी लिया। तब देवताओंने जाकर कुछ दैत्योंका वध किया और कुछ भागकर पाताल चले गये। अगस्त ऋषि की कथा

एक बार ब्रह्महत्याके कारण इन्द्रके स्थानच्युत हो जानेपर राजा नहुष इन्द्र हुए थे। इन्द्र होनेपर अधिकारके मदसे मृत्त होकर उन्होंने इन्द्राणीको अपनी पत्नी बनानेकी चेष्टा की। तब बृहस्पतिकी सम्मतिसे इन्द्राणीने उन्हें एक ऐसी सवारीसे अपने समीप आनेकी बात कही, जिसपर अबतक कोई सवार न हुआ हो। मदमत्त नहुषने सवारी ढोनेके लिये ऋषियोंको ही बुलाया। ऋषियोंको तो सम्मान-अपमानका कुछ खयाल था ही नहीं, आकर सवारीमें जुत गये। जब सवारीपर चढ़कर नहुष चले, तब शीघ्रातिशीघ्र पहुँचनेके लिये हाथमें कोड़ा लेकर ‘जल्दी चलो! जल्दी चलो!’ (‘सर्प-सर्प’) कहते हुए उन ब्राह्मणोंको विताड़ित करने लगे। यह बात महर्षि अगस्त्यसे देखी नहीं गयी। वे इसके मूलमें नहुषका अध:पतन और ऋषियोंका कष्ट देख रहे थे। उन्होंने नहुषको उसके पापोंका उचित दण्ड दिया। शाप देकर उसे एक महाकाय सर्प बना दिया और इस प्रकार समाजकी मर्यादा सुदृढ़ रखी तथा धन-मद और पद-मदके कारण अन्धे लोगोंकी आँखें खोल दीं। अगस्त ऋषि की कथा

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1 भक्त सुव्रत की कथा 2 भक्त कागभुशुण्डजी की कथा 3 शांडिल्य ऋषि की कथा 4 भारद्वाज ऋषि की कथा 5 वाल्मीक ऋषि की कथा 6 विस्वामित्र ऋषि की कथा 7 शुक्राचार्य जी की कथा 8 कपिल मुनि की कथा 9 कश्यप ऋषि की कथा 10 महर्षि ऋभु की कथा 11 भृगु ऋषि की कथा 12 वशिष्ठ मुनि की कथा 13 नारद मुनि की कथा 14 सनकादिक ऋषियों की कथा 15 यमराज जी की कथा 16 भक्त प्रह्लाद जी की कथा 17 अत्रि ऋषि की कथा 18 सती अनसूया की कथा

1 गणेश जी की कथा 2 राजा निरमोही की कथा 3 गज और ग्राह की कथा 4 राजा गोपीचन्द की कथा 5 राजा भरथरी की कथा 6 शेख फरीद की कथा 7 तैमूरलंग बादशाह की कथा 8 भक्त हरलाल जाट की कथा 9 भक्तमति फूलोबाई की नसीहत 10 भक्तमति मीरा बाई की कथा 11 भक्तमति क

र्मठी बाई की कथा 12 भक्तमति करमेति बाई की कथा

1 कवि गंग के दोहे 2 कवि वृन्द के दोहे 3 रहीम के दोहे 4 राजिया के सौरठे 5 सतसंग महिमा के दोहे 6 कबीर दास जी की दोहे 7 कबीर साहेब के दोहे 8 विक्रम बैताल के दोहे 9 विद्याध्यायन के दोह 10 सगरामदास जी कि कुंडलियां 11 गुर, महिमा के दोहे 12 मंगलगिरी जी की कुंडलियाँ 13 धर्म क्या है ? दोहे 14 उलट बोध के दोहे 15 काफिर बोध के दोहे 16 रसखान के दोहे 17 गोकुल गाँव को पेंडोही न्यारौ 18 गिरधर कविराय की कुंडलियाँ 19 चौबीस सिद्धियां के दोहे 20 तुलसीदास जी के दोहे   अगस्त्य ऋषि कौन थे उनका परिचय 

 

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