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अविगत लिखियो ना जाई भजन lyrics

भजन

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बन्नानाथ जी महाराज की वाणी अविगत लिखियो ना जाई भजन lyrics

संतो भाई अविगत लिखियो ना जाई

जो लिखसी कोई संत सूरमा नूरा में नूर समोई।।टेर।।

(1) जैसे चंदा उदक में दरसे यों साहेब सब माही।
दे चश्मा घट भीतर देखो नूर निरंतर वाहीं।।

(2) दूर से दूरा उर से उरेरा हर हिरदे रे माही।
सपने नार गमायो बालको जाग पड़ी जद वाहीं।।

(3) जागी जोत जगी घट भीतर जहां देखूं वहां साईं।
उगा भाण बीत गई रजनी हरदम अंतर नाहीं।।

(4) ममता मेट मिलियो मोहन से गुरु से गुरु गम पाई।
कहे बनानाथ सुनो भाई साधु अब कुछ धोखा नाही।।

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मित्रों यह अविगत लिखियो ना जाई भजन lyrics बना नाथ जी महाराज द्वारा रचित पश्चन्ति वाणी पर आधारित है इस भजन के माध्यम से बनानाथ जी महाराज ने परमात्मा का सब जगह पर विद्यमान है परमात्मा सर्वज्ञ है परमात्मा सर्वत्र है इस बात को उन्होंने अपने इस भजन के माध्यम से हमें बताने की चेष्टा की है इस भजन के माध्यम से इन्होंने बताया कि जिस प्रकार चंद्रमा जल के अंदर चंद्रमा की जो परछाई दिखती है उसी प्रकार परमात्मा हम सब में विराजमान हैं लेकिन अगर जल एक दम शांत है उसके अंदर विकारों की शांति हो चुकी है तो चंद्रमा रुपी परमात्मा साक्षात दिखते हैं लेकिन अगर विकारों की शांति नहीं हुई है तो वह जल हिल रहा है तो उसमें परमात्मा की झांकी सही नहीं लिख पाती है ऐसे ही उन्होंने एक उदाहरण और दिया कि जैसे स्वपन वत माता अपने लाल को खो देती है और उसको ढूंढने की कोशिश करती है जब उसका बालक नहीं मिलता है तो वह तड़पती है उसी प्रकार हम भी अपने बालक रूपी परमात्मा से बिछड़े हुए हैं वह बालक रूपी परमात्मा हमें नहीं मिलने के कारण हम तड़प रहे हैं लेकिन जैसे ही हमें सच्चे सतगुरु उन परमात्मा के बारे में बताते हैं उनको मिलने का तरीका बताते हैं तो फिर हम हमारे साथ जैसे वह माता स्वपन से उस माता का स्वपन टूटता है उसके बाद वह देखती है कि मेरा बालक तो मेरे पास सो रहा है उसी प्रकार हमें सच्चे सतगुरु ज्ञान देकर के ऐसे अज्ञानता की घोर नींद से जगा देते उस प्रकार बना नाथ जी महाराज कह रहे हैं कि जिस व्यक्ति के घट के अंदर ज्ञान का प्रकाश हो गया है उस व्यक्ति को हर जगह परमात्मा के दिदार होते हैं जिस प्रकार सूर्य उदय होने के बाद धरती पर सारी वस्तुएं यथावत रूप से दिखती है उसमें जरा सा भी अंतर नहीं है ठीक इसी प्रकार हमारे अंदर सच्चे सतगुरु से प्राप्त ज्ञान के प्रकाश से हमें इस संसार की विषय वस्तु ठीक ठीक दिख पाती है तो उस परमात्मा से मिलने के लिए हमें इस संसार की मोह ममता को छोड़ कर के गुरु महाराज सच्चे सतगुरु से मिले ज्ञान आधार से परमात्मा को मिलने को प्राप्त करने के लिए साधना करनी चाहिए बनानाथ जी महाराज ने कहा कि मुझे सच्चे सतगुरु ने ऐसा मार्ग बताया कि अब मेरे को कोई भी प्रकार का धोखा नहीं है उम्मीद करता हूं मित्रों यह भजन आपको पसंद आया होगा अगर पसंद आया है तो कृपया लाइक करें कोई सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर दें अपने प्रिय मित्रों में शेयर जरूर करें अविगत लिखियो ना जाई भजन lyrics

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