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समाज सुधारक । भारत के महान महापुरुष

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समाज सुधारक । भारत के महान महापुरुष

समाज सुधारक
समाज सुधारक

संत महात्मा समाज सुधारक

1 महात्मा बुद्ध :- ईसा से 600 वर्ष पूर्व कपिलवस्तु में शाक्य राजा शुद्धोधन के यहां अवतरित हुए। शीघ्र ही वैराग्य लेकर घर से निकल गए । गया में पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ बौद्ध धर्म की स्थापना की।

2 ऋषभदेव :- नाभिराय तथा मेरू देवी के पुत्र तथा जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से प्रथम।

3 महावीर स्वामी :- जैन धर्म के 24वें तथा अंतिम तीर्थंकर जन्म 599 ईसवी पूर्व ईसा पूर्व कुंडग्राम या कुंडलपुर में राजा सिद्धार्थ एवं त्रिशला देवी के घर हुआ। 527-28 ईसवी पूर्व पावापुरी नामक स्थान पर निर्वाण प्राप्त किया। समाज सुधारक

4 अश्वघोष :- सम्राट कनिष्क के समय प्रसिद्ध विद्वान दार्शनिक एवं कवि गीतों के माध्यम से बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया बुद्ध चरित के लेखक

5 वसुबंधु :- चौथी शताब्दी में बौद्ध धर्म के दार्शनिक संप्रदायों के संस्थापकों में सर्वोपरि नाम अपने काल में यह द्वितीय बुध कहलाते थे। समाज सुधारक

6 शंकराचार्य :- मलाबार के कालड़ी गांव में शिव गुरु तथा आर्यअंबा के घर सन 788 ईस्वी पूर्व में पैदा हुए। सन्यासी गुरु गोविंद पाद से दीक्षा ली। भारत के चारों कोनों में पूर्व में जगन्नाथ पुरी पश्चिम में द्वारिका दक्षिण में श्रृंगेरी तथा उत्तर में बद्रीनाथ में चार मठ स्थापित किए। महान विचारक और ज्ञानी जिन्होंने पूरे भारत में ज्ञान और भक्ति का प्रचार प्रचार किया। अद्वैतवाद के प्रवर्तक 32 वर्ष की अल्पायु में निधन हो गया। समाज सुधारक

7 रामानुजाचार्य :- 10 वीं शताब्दी के महान संत जिन्होंने द्वैतवाद विशिष्ट दर्शन का प्रचार प्रसार किया। इन्होंने सगुण ईश्वर की पूजा का उपदेश दिया। यह दक्षिण भारतीय थे। इनके पिता का नाम केशव भट्ट था।

8 मध्वाचार्य :- 13वीं शताब्दी में कर्नाटक के उड़पी ग्राम में नारायण भट्ट के यहां जन्म।इन्होंने द्वैतवाद दर्शन का प्रचार प्रचार किया।

9 रामानंद :- जो कार्य रामानुज ने दक्षिण भारत में किया वहीं उत्तर भारत में रामानंद ने किया। वैष्णव भक्तों में शिरोमणि इनके शिष्यों में सभी धर्म व जाति के लोग थे। कबीर उनमें से एक थे।

10 चैतन्य महाप्रभु :- 14वी शताब्दी में राधा कृष्ण के महान भक्त। सभी जाति के व्यक्तियों को शिष्य बनाया। उन्होंने कीर्तन परिपाटी का आरंभ किया। बंगाल इनका मुख्य कार्यक्षेत्र था। गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के संस्थापक। समाज सुधारक

11 कबीर :- 14वी शताब्दी में रामानंद के प्रमुख शिष्य में एक। जुलाहे का काम करते थे। हिंदू मुसलमानों के बीच समन्वय का प्रयास किया। दोनों ही धर्मों की पाखंड की आलोचना की। इनकी साखिया प्रसिद्ध है, यह निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे।

12 गुरु नानक :- सिख धर्म के संस्थापक एवं प्रथम सिख गुरु। पंजाब के तलवंडी ग्राम में कालूराम मेहता के घर 1469 में जन्म लिया। इन्होंने वेदांत का ज्ञान लोक भाषा में प्रस्तुत किया। 1539 में स्वर्ग सिधारे। समाज सुधारक

13 मीराबाई :- 1498 में मेड़ता में जन्म लिया। मेवाड़ के राणा सांगा की पुत्रवधू। कृष्ण की महान भक्ता। भक्ति के विश्वास से हंसते-हंसते विष का प्याला पी लिया। 1546 में स्वर्गवासी हुई।

14 तुलसीदास :- 16वीं शताब्दी के लोकमान्य राम भक्त महान कवि। इन्होंने “रामचरितमानस” की रचना की। मुस्लिम आक्रांता हताश जनों को मनोबल प्रदान किया। संस्कृत के विद्वान होते हुए भी लोक भाषा में रचनाएं की। समाज सुधारक

15 संत तुकाराम :- 17 वीं शताब्दी में महाराष्ट्र में जन्मे वैष्णव संत जिनके हजारों काव्य पद अभंग के नाम से प्रसिद्ध है।

16 रविदास :- 16वी शताब्दी के सुप्रसिद्ध संत चर्मकार परिवार में जन्मे थे। स्वामी रामानंद के अनुयाई थे। प्रसिद्ध कृष्ण भक्त मीराबाई ने भी इनका सानिध्य ग्रहण किया।

17 वल्लभाचार्य :- 15 वी शताब्दी में आंध्र के लक्ष्मण भट्ट के पुत्र। कृष्ण भक्त पुष्टिमार्गी वैष्णव आचार्य, काशी में पढे। कुछ समय वृंदावन में रहे। इनका मत “शुद्धाद्वेत” कहलाता है। जिसके अनुसार ब्रह्म ही स्वेच्छा से जगत रूप बन जाते हैं। समाज सुधारक

18 गोरखनाथ :- मछंदर नाथ के शिष्य, महान हठयोगी, अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है, भारत के अनेक भागों में इनके मठ हैं। जहां इनकी पूजा होती है।

19 झूले लाल :- 10 वीं शताब्दी में सिंध प्रांत में जन्मे पूजनीय पुरुष वरुण देवता के अवतार माने जाते हैं। इन्होंने मुसलमान नवाब द्वारा सारी प्रजा का बलात सामूहिक धर्मांतरण किए जाने की दुष्ट योजना को विफल कर दिया। सिद्धियों के महान संतों में इनकी गणना होती है।

20 तिरुवल्लुवर :- ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी में जन्मे बुनकर व्यवसायी तमिल संत जिनके सुभाषित तिरुक्कुरल ग्रंथ में संगृहत है जो तमिल साहित्य का सम्मानित ग्रंथ है।

21 कम्ब :- एक हजार वर्ष पूर्व तमिलनाडु में जन्मे प्रसिद्ध राम भक्त कवि जिन्होंने तमिल में “कंब रामायण” लिखकर दक्षिण भारत में राम कथा का प्रचार किया।

22 बसवेश्वर :- 11वीं शताब्दी में हुए कर्नाटक के शैव सन्त जिन्होंने कर्नाटक एवं आंध्र में शैव संप्रदाय की स्थापना की।

23 नरसी मेहता :- शताब्दी के सुप्रसिद्ध कृष्ण भक्त जो जूनागढ़ गुजरात के निवासी थे। प्रसिद्ध भजन “वैष्णव जन तो तेने कहिए” इनकी ही रचना है। समाज सुधारक

24 शंकरदेव :- 15 वी शताब्दी में कारूप (असम) में जन्मे वैष्णव संत जिन्होंने समाज को धार्मिक अधःपतन से उबरने के लिए कृष्ण भक्ति से संबंधित अनेक ग्रंथ रचे और भागवत धर्म का प्रचार किया। संपूर्ण असम में इन्होंने सर्वाधिकार की व्यवस्था की तथा नामघर स्थापित किए।

25 सायणाचार्य और विद्यारण्य :- 14वी शताब्दी के दो विद्या-बुद्धि निधान धर्म एवं राजनीति में निपुण भाई। सायणाचार्य ने चारों वेदों पर भाष्य लिखें और विद्यारण्य ने वेदांत दर्शन ग्रंथ। इन्होंने हरिहर तथा बुक्का राव नाम के दो वीर क्षत्रिय भाइयों का मार्गदर्शन कर धर्म रक्षा के लिए विजयनगर राज्य की स्थापना कराई तथा चाणक्य की भांति प्रधानमंत्री पद संभाल कर राज्य व्यवस्थित किया। समाज सुधारक

26 संत ज्ञानेश्वर :- 12 वीं शताब्दी में महाराष्ट्र में जन्मे नाम पंथी बालयोगी जिन्होंने भागवत गीता की पद्दबद्ध टीका “ज्ञानेश्वरी” नाम से लिखी। इनके बड़े भाई निवृत्ति नाथ तथा छोटे भाई सोपान देव और बहन मुक्ता बाई भी आत्मज्ञानी थे।

27 समर्थ गुरु रामदास :- 17 वीं शताब्दी में मराठवाड़ा में सूर्याजी पंत के घर जन्मे। विवाह मंडप से भाग कर वर्षो घोर तपस्या की। मुसलमानों के अत्याचारों से पीड़ित समाज को जगाते हुए हिंदवी स्वराज्य की स्थापना के लिए शिवाजी का मार्गदर्शन किया और उनके गुरु के नाम से विख्यात हुए। समाज सुधारक

28 पुरंदर दास 16 वी शताब्दी में कर्नाटक में जन्मे माधवा संप्रदाय के वैरागी कृष्ण भक्त कवि जिनके भजन प्रसिद्ध है।

29 बिरसा मुंडा 1875 में बिहार के जन-जाति बहुल छोटा नागपुर के रांची जिले में जन्मे बिरसा मुंडा ने अंग्रेज शासकों के अत्याचारों के विरुद्ध वनवासियों को संगठित कर सशस्त्र विद्रोह किया। 25 वर्ष की आयु में कारागार में डाल दिए गए। वनवासी इन्हें भगवान के रूप में याद करते हैं। समाज सुधारक

30 राजाराम मोहन राय :- 1772 में बंगाल में जन्मे। ब्रह्म समाज के संस्थापक सती प्रथा, बाल विवाह, पर्दा प्रथा, के विरोधी विधवा विवाह तथा महिला शिक्षा के समर्थक थे।

31 दयानंद सरस्वती :- 1824 में काठियावाड़ गुजरात में जन्मे आर्य समाज के संस्थापक। वैदिक धर्म के पुनरुत्थान के लिए जीवन पर्यंत संघर्ष किया। सत्यानाश प्रकाश के द्वारा हिंदू धर्म की श्रेष्ठता सिद्ध की।

गीता उपदेश

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः।
अभ्युथानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।

हे भारत जब जब धर्म का लोप होता है और अधर्म में वृद्धि होती है तब तब मैं धर्म के अभ्युत्थान के लिए स्वयं की रचना करता हूं अर्थात अवतार लेता हूं। समाज सुधारक

 

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