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Lord Ganesha Story In Hindi By Bhakt Charitank

Lord Ganesha Story

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नमस्कार दोस्तों आइए भक्ति मार्ग में गणेश जी की प्रथम पूजा अर्चना क्यों होती है उसका मुख्य कारण क्या है इसके बारे में जानेंगे। lord ganesha story

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साधु भाई गणपत देव मनाता।

(टेर) गणपति सिमरिया सदा सुख पावे दुख दरिद्रता नशाता।।

(1) तुम गणनायक संत सहायक बुद्धि विधायक दाता।
दुष्ट संहारक सब सुख लायक ऋषि मुनि वर ध्यता।।

(2) पिता शंकर मात पार्वती कार्तिक है भ्राता। प्रथम पूज्य भए तुम स्वामी वेद पुराणों में गाथा।।

(3)शंकर युद्ध की दाना से दाना मरण नहीं पाता। गणपति सुमर बाण जद वायो दाना मुक्त हो जाता।।

(4) तुम गणनायक सब सुख लायक हृदय ज्ञान बतलाता।
कल्याण भारती तव शरणागत चरण कमल चित लाता।।

इस भजन के माध्यम से कवि ने गणेश जी की वंदना किस प्रकार की है आइए थोड़ा सरल अर्थ के साथ विस्तार में जानते हैं कवि ने कहा है संतो गणपति जी को प्रथम सुमिरन करने पर सदा सुख मिलता है और दुख दरिद्र का नाश होता है कवि गणेश जी की स्तुति करते हुए कहते हैं कि हे गणनायक आप हमेशा संतों की सहायता करते हैं आप बुद्धि और विद्या के दाता है दुष्ट जनों का नाश करते हैं और सब सुख का प्रकाश करते हैं ऋषि मुनि भी आपका ध्यान करते हैं आपके पिता श्री शंकर जी तथा माता पार्वती जी और कार्तिक जैसे भ्राता है फिर भी आप प्रथम पूज्य आप हो गणेश स्वामी ऐसा वेद पुराणों में गाया है शंकर जी ने भी जब एक असुर वृत्रासुर के साथ युद्ध किया तो वह भी मर नहीं पा रहा था लेकिन जब आपका नाम लेकर आपके नाम सुमिरन से बाण को मारा उसी समय वो दानव मर गया हे गणनायक आप सब सुखों की खान हो और हृदय में ज्ञान का प्रकाश करने वाले ऐसे गणेश जी आपको बार-बार नमस्कार है आपके चरण कमलों में प्रणाम है। Lord Ganesha Story

गणेश जी की प्रथम पूजा के मुख्य कारण:-

वस्तुतः पांच देवताओं की पूजा प्रथम होती है उनमें से भी गणेश जी की पूजा सर्वप्रथम होती है वे पांच देवता कौन है श्री ब्रह्मा जी श्री विष्णु जी श्री शिव जी श्री भगवती दुर्गा जी और श्री गणेश जी इनमें भी भगवान गणपति सभी आराधनाओ एवं मंगल कार्यों में प्रथम पूज्य माने जाते हैं श्री गणेश जी के प्रथम पूज्य होने की अनेक कथाएं मिलती है रूद्र गणों के अधिपति है अतः उनकी प्रथम पूजा करने से कार्य निर्विघ्न समाप्त होता है उस कार्य में रुद्रगण कोई विघ्न उपस्थित नहीं करते। जब सृष्टि की प्रारंभ में देवताओं में प्रथम पूज्य किसे माना जाए यह प्रश्न उठा तब सब देवता ब्रह्मा जी के पास गए ब्रह्मा जी ने उन्हें बताया कि जो कोई पूरी पृथ्वी की प्रदक्षिणा सबसे पहले कर ले वही प्रथम पूज्य माना जाए सब देवता अपने-अपने वाहनों पर बैठकर प्रदक्षिणा के लिए चल पड़े। गणेश जी का शरीर स्थूल है वे लंबोदर है और उनका वाहन है चूहा।देवताओं में अनेकों के वाहन पक्षी है कुछ रथपर कुछ अश्व पर या हाथी पर विराजते हैं उन सब के साथ भला गणेश जी कैसे दौड़ सकते थे देवर्षि नारद जी की सम्मति से गणेश जी ने भूमि पर “राम” यह भगवान का नाम लिखा और उसी के साथ प्रदक्षिणा करके ब्रह्मा जी के पास पहुंच गए सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी ने उन्हीं को प्रथम पूज्य बताया क्योंकि “राम” नाम तो साक्षात राम का स्वरूप है और राम के रोम रोम में कोटि कोटि ब्रह्मांड है श्री गणेश जी ने राम नाम की परिक्रमा करके समस्त ब्रह्मांडो की परिक्रमा कर ली थी। Lord Ganesha Story
इस विषय में एक और कथा आती है जो इस प्रकार है गणेश जी ने भगवान शंकर एवं पार्वती जी की प्रदक्षिणा की क्योंकि माता साक्षात पृथ्वी स्वरूप एवं प्रजापति के स्वरूप है कल्प भेद से दोनों ही कथाएं सत्य है श्री गणेश जी तो भगवान के ही स्वरूप है और नित्य है उन्होंने इस प्रकार भगवन नाम की श्रेष्ठता तथा माता पिता की भक्ति का आदर्श स्थापित किया और बताया कि केवल शरीर के बल या दूसरे अलौकिक साधनों से होने वाली सफलता झूठी होती है और उस पर विश्वास करने वाला कभी भी धोखा खा सकता है कोई किसी प्रकार की सफलता चाहता है उसे भगवान का ही आश्रय लेना चाहिए। मंगल मूर्ति श्री गणेश जी की प्रथम पूजा सभी विघ्नों को दूर करती ही है भगवान की चरणों में भी सब और से लगने का आदर्श भी उसमें है गणेश जी की बड़ी विस्तृत कथाएं है उनका उपनिषदों में वर्णन है गणेश गीता है सभी मनन करने योग्य है। lord ganesha story

आशा करता हूं की मेरी यह गणेश जी के बारे में लिखी हुई पोस्ट आपको जरूर पसंद आई होगी और अधिक जानने के लिए की गणेश और आदि गणेश में क्या अंतर है क्लिक करें Lord Ganesha Story

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My name is Sonu Patel i am from india i like write on spritual topic

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