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हजरत ईसा मसीह कौन थे संपूर्ण जीवन परिचय बाईबल द्वारा प्रमाणित

हजरत ईसा मसीह

हजरत ईसा मसीह कौन थे संपूर्ण जीवन परिचय बाईबल द्वारा प्रमाणित

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हजरत ईसा मसीह
हजरत ईसा मसीह

🔮 हजरत ईसा से पवित्र ईसाई धर्म की स्थापना हुई
ईसा मसीह के नियमों पर चलने वाले भक्त
आत्मा ईसाई कहलाए तथा पवित्र ईसाई धर्म का उत्थान हुआ।

🔮 ईसा मसीह का जन्म एक देवता से हुआ।
प्रमाण : पवित्र बाईबल मती रचित सुसमाचार मती=1ः25 पृष्ठ नं. 1-2 पर।
ईसा मसीह की पूज्य माता जी का नाम मरियम तथा पूज्य पिताजी का नाम यूसुफ था। परन्तु मरियम को गर्भ एक देवता से रहा था। इस पर यूसुफ ने आपत्ति की तथा मरियम को त्यागना चाहा तो स्वपन में (फरिश्ते) देवदूत ने ऐसा न करने को कहा तथा यूसुफ ने डर के मारे मरियम का त्याग न करके उसके साथ पति-पत्नी रूप में रहे। देवता से गर्भवती हुई मरियम ने ईसा को जन्म दिया।

🔮 ईसा जी भगवान नहीं थे, वह तो एक ईश्वर की भक्ति बताते थे
हजरत ईसा जी को भी पूर्ण परमात्मा सत्यलोक से आकर मिले तथा एक परमेश्वर का मार्ग समझाया। इसके बाद ईसा जी एक ईश्वर की भक्ति समझाने लगे। लोगों ने बहुत विरोध किया।बीच-बीच में ब्रह्म(काल) के फरिश्ते हजरत ईसा जी को विचलित करते रहे तथा वास्तविक ज्ञान को दूर रखा।

🔮 हजरत ईसा जी पाप नहीं काट सकते
हजरत यीशु का जन्म तथा मृत्यु व जो जो भी चमत्कार किए वे पहले ब्रह्म(ज्योति निरंजन) के द्वारा निर्धारित थे। यह प्रमाण पवित्र बाईबल में है कि एक व्यक्ति जन्म से अंधा था। वह हजरत यीशु मसीह के आशीर्वाद से वह ठीक हो गया। शिष्यों ने पूछा इस व्यक्ति ने कौन-सा पाप किया था। यीशु जी ने कहा कि इसका कोई पाप नहीं है। यह तो इसलिए हुआ है कि प्रभु की महिमा प्रकट करनी है। भावार्थ यह है कि यदि पाप होता तो हजरत यीशु आँखे ठीक नहीं कर सकते थे। हजरत ईसा मसीह 

🔮 ईसा जी परमेश्वर नहीं थे, उनके द्वारा किये गये चमत्कार भी पूर्व निर्धारित थे
हजरत ईसा मसीह के चमत्कारों में लिखा है कि एक प्रेतात्मा से पीड़ित व्यक्ति को ठीक कर दिया। यह काल स्वयं ही किसी प्रेत तथा पितर को प्रेरित करके किसी के शरीर में प्रवेश करवा देता है। फिर उसको किसी के माध्यम से अपने भेजे दूत के पास भेजकर प्रेत को भगा देता है। अपने अवतार की महिमा करवाकर कर हजारों को उसका अनुयाई बनवा कर काल जाल में फंसा देता है तथा उस पूर्व भक्ति कमाई युक्त साधक की कमाई को समाप्त करवा कर नरक में डाल देता है। हजरत ईसा मसीह 

🔮 ईसा मसीह परमेश्वर नहीं
वह काल के भेजे अवतार थे, उनके द्वारा किये चमत्कार व उनकी मृत्यु पहले से ही निर्धारित थी।
यह सब काल ज्योति निरंजन (ब्रह्म) का सुनियोजित जाल है। जिस कारण उसके द्वारा भेजे अवतारों की महिमा बन जाए तथा
आस पास के सभी प्राणी उस पर आसक्त होकर उसके द्वारा बताई ब्रह्म साधना पर अटल हो जाऐं। जब परमेश्वर का संदेशवाहक आए तो कोई भी विश्वास न करे।

🔮 ईसा मसीह की मृत्यु
हजरत ईसा मसीह की मृत्यु 30 वर्ष की आयु में हुई जो पूर्व ही निर्धारित थी। स्वयं ईसा जी ने कहा कि मेरी मृत्यु निकट है।
(मत्ती 26ः24-55 पृष्ठ 42-44)

🔮 परमेश्वर अमर है, लेकिन ईसा मसीह जी की मृत्यु हुई
हजरत ईसा मसीह की मृत्यु पूर्व ही निर्धारित थी। स्वयं ईसा जी ने कहा कि मेरे बारह शिष्यों में से ही एक मुझे विरोधियों को पकड़वाएगा। एक ईसा मसीह का खास यहूंदा इकसरौती नामक शिष्य था, जिसने तीस रूपये के लालच में अपने गुरु जी को विरोधियों के हवाले कर दिया।
(मत्ती 26ः24-55 पृष्ठ 42-44) हजरत ईसा मसीह 

🔮 पुण्यात्मा ईसा मसीह जी को केवल अपना पूर्व का निर्धारित जीवन काल प्राप्त हुआ जो उनके विषय में पहले ही पूर्व धर्म शास्त्रों में लिखा था।
‘‘मत्ती रचित समाचार‘‘ पृष्ठ 1 पर लिखा है कि याकुब का पुत्र युसूफ था। युसूफ ही मरियम का पति था।
मरियम को एक फरिश्ते से गर्भ रहा था। तब हजरत ईसा जी का जन्म हुआ समाज की दृष्टि में ईसा जी के पिता युसूफ थे। (मत्ती 1ः1-18)

🔮 ईसा मसीह की दर्दनाक मौत से साबित होता है कि वह परमात्मा नहीं थे। परमात्मा तो अविनाशी है।
तीस वर्ष की आयु में ईसा मसीह जी को शुक्रवार के दिन सलीब मौत (दीवार) के साथ एक आकार के लकड़ के ऊपर खड़ा करके हाथों व पैरों में मेख (मोटी कील) गाड़ दी।
जिस कारण अति पीड़ा से ईसा जी की मृत्यु हुई।

🔮 यीशु जी की जन्म-मृत्यु पहले ही निर्धारित थी*
हजरत यीशु का जन्म तथा मृत्यु व जो भी चमत्कार किए वे पहले ही ब्रह्म (यहोवा) के द्वारा निर्धारित थे ताकि उसके भेजे अवतार की महिमा बनी रहे और जब पूर्ण परमेश्वर का संदेशवाहक आये तो कोई उसका विश्वास न करें हजरत ईसा मसीह
प्रमाण के लिए देखें- पवित्र बाइबल यूहन्ना 9:1-34 में

🔮 ईसा जी में फरिश्ते प्रवेश कर बोलते थे

एक स्थान पर ईसा जी ने कहा कि मैं याकूब से भी पहले था। संसार की दृष्टि से याकूब ईसा जी का दादा था। यदि ईसा जी की आत्मा होती तो यह नहीं कहती कि मैं याकूब (अपने दादा) से भी पहले था। सिद्ध होता है ईसा जी में कोई अन्य फरिश्ता बोल रहा था जो प्रेतवत प्रवेश कर जाता था।

🔮 ईसा मसीह की बाईबल में एक सहायक (अवतार) भेजने की भविष्यवाणी
यीशु ने बाईबल John 16:7 में एक सहायक (अवतार) भेजने की भविष्यवाणी की है कि – मैं तुमसे सच कहता हूं कि मेरा जाना तुम्हारे लिए अच्छा है। यदि मैं न जाऊं तो सहायक (अवतार) तुम्हारे पास न आयेगा। परंतु यदि मैं जाऊंगा तो उसे तुम्हारे पास भेज दूंगा।
वह सहायक/अवतार पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी हैं जो अपने दिव्य आध्यात्मिक ज्ञान से विश्व में शान्ति स्थापित करेंगे।

🔮 पवित्र बाईबल में लिखा है कि जीसस के शरीर छोड़ने के बाद कोई अन्य मसीहा विश्व में आएगा जो विश्व में शांति स्थापित करेगा।

वह कोई और नहीं जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं।

🔮 परमेश्वर कबीर जी की भक्ति से ही रक्षा होती है

ईसा जी को उनके शिष्य ने सिर्फ 30 रुपए के लिए उनके विरोधियों को सौंप दिया। विरोधियों ने T आकार की लकड़ी में कील गाड़कर क्रश कर दिया। हज़रत ईसा जी ने मरते समय कहा कि हे मेरे प्रभु! आपने मुझे क्यों त्याग दिया। इससे स्पष्ट है कि काल प्रभु अंतिम समय में अकेला छोड़ देता है। (पवित्र बाईबल मत्ती 27 तथा 28/20 पृष्ठ 45 से 48 में) हजरत ईसा मसीह 

🔮 क्या वह यीशु थे जो कब्र से निकले थे?
नहीं, वह यीशु नहीं थे जो कब्र से निकले थे। वे पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब थे, जो उनके अनुयायियों का विश्वास बनाए रखने के लिए यीशु के रूप में प्रकट हुए थे। अन्यथा उनके अनुयायियों ने भगवान में विश्वास खो दिया होता और नास्तिक बन गए होते।

🔮 भक्ति युक्त आत्माएं नबी बनकर आती हैं
बाईबल में यूहन्ना ग्रन्थ (अध्याय 16 श्लोक 4 से 15) में प्रमाण है काल भक्ति युक्त भक्तों को नबी बनाकर भेजता है और उन्हीं भक्तों की कमाई से चमत्कार करवाता रहता है। जब उनकी कमाई खत्म हो जाती है उनको मरने के लिए छोड़ देता है जैसे ईसा जी की मृत्यु हुई।
लेकिन परमेश्वर भक्ति दृढ़ रखने के लिए 3 दिन बाद ईसा जी के रूप में प्रकट हुए। ताकि जब भक्ति युग आए तो सब सतभक्ति करें और साधक पूर्ण मोक्ष को प्राप्त करें।

🔮 ईसा जी का जीवन निर्धारित था
ईसा जी की मृत्यु 30 वर्ष की आयु में हुई जो पूर्व निर्धारित थी। ईसा जी ने कहा कि मेरी मृत्यु निकट है तथा तुम शिष्यों में से ही एक मुझे विरोधियों को पकड़वाएगा और वो मुझे मार देंगे। इससे सिद्ध है हज़रत ईसा जी ने कोई चमत्कार नहीं किया ये सब पहले से ही निर्धारित था। हज़रत ईसा जी किसी को सुखी भी नहीं कर सकते थे जिनको सुख हुआ था वो पहले से ही निर्धारित थे। हजरत ईसा मसीह 

🔮 ईसा जी परमेश्वर के पुत्र थे
ईसा जी ने स्वयं को परमेश्वर का पुत्र कहा, न कि स्वयं को परमेश्वर कहा। इससे सिद्ध हुआ कि परमेश्वर कोई और है। उसने जमीन और आसमान के बीच की कायनात 6 दिन में रची और सातवें दिन तख्त पर जा विराजा (प्रमाण- बाईबल उत्पत्ति ग्रंथ, पृष्ठ 1-3)

🔮 हजरत ईसा जी में देव तथा पित्तर प्रवेश होकर बोलते थे
प्रमाण : बाईबल अध्याय 2 कुरिन्थियों 2ः12-17 पृष्ठ 259-260 में स्पष्ट लिखा है कि एक आत्मा नबी में प्रवेश करके बोल रही है।

🔮 मांस खाने का आदेश परमेश्वर का नहीं है

प्रमाण:- कोरिंथियन 2:12, 17
एक आत्मा किसी में प्रवेश करके बोल रही है।
(17) हम उन लोगों में से नहीं है जो परमेश्वर के वचनों में मिलावट करते हैं।
इससे स्पष्ट है कि ईसा जी में अन्य फरिश्ते और अन्य आत्माएं भी बोलती हैं जो अपनी तरफ से मिलावट करके बोलती हैं।
बाईबल में मांस खाने का आदेश अन्य आत्माओं का है, प्रभु का नहीं।

🔮 क्या यीशु परमेश्वर हैं?

ईसाई त्रिदेवों में, जो पिता, पुत्र व पवित्र आत्मा के बारे में बताते हैं कि यीशु परमेश्वर का पुत्र था।
मार्क 1:11- और आकाश से एक आवाज़ आयी: “तुम मेरे प्यारे पुत्र हो, तुमसे मैं बहुत प्रसन्न हूँ।”
सिद्ध हुआ कि यीशु परमेश्वर का पुत्र था।

🔮 जीसस के शरीर में आत्माएँ प्रवेश करके भविष्यवाणियां करती थी।
जब जीसस को क्रॉस/सूली पर चढ़ाया गया तब सभी आत्माओं ने यीशु के शरीर को छोड़ दिया।
बाईबल 2 कोरिंथियन 2:12-17 पृष्ठ 259-260 में प्रमाण है कि आत्माएँ यीशु के शरीर में प्रवेश करके बोलती थीं।

🔮यीशु का जन्म-मरण व चमत्कार सब काल (यहोवा) के द्वारा निर्धारित था

पवित्र बाईबल यूहन्ना 9:1-34 में है कि एक अंधे व्यक्ति को यीशु ने स्वस्थ कर दिया। यीशु बोले इसका कोई पाप नहीं था, यह इसलिए हुआ कि प्रभु की महिमा प्रकट करनी थी। यदि पाप होता तो यीशु उसकी आंखें ठीक नहीं कर सकते थे।

🔮ईसा जी की मृत्यु बाद परमेश्वर प्रकट हुए

ईसा जी को क्रश करने के बाद पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब, ईसा जी का रूप धारण करके अनेकों जगह प्रकट होकर शिष्यों को दिखाई देने लगे। यदि परमेश्वर नहीं आते तो ईसा जी के पूर्व चमत्कारों को देखते हुए‌ ईसा जी का अंत देखकर कोई भी व्यक्ति भक्ति साधना नहीं करता, नास्तिक हो जाते।
(प्रमाण पवित्र बाईबल में यूहन्ना 16: 4-15)

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My name is Sonu Patel i am from india i like write on spritual topic

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